Thursday, May 16, 2019

अमेरिका ने इराक से अपने स्टाफ को बुलाया, खाड़ी में मौजूद सेना हाई अलर्ट


अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध जैसे हालात नजर आ रहे हैं। सऊदी अरब के 2 तेल टैंकरों और तेल पाइप लाइन पर हमलों के बाद से पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर पहुंच गया है। हालांकि, ईरान ने इसमें अपनी भूमिका से इनकार करते हुए इसे विदेशी ताकत की साजिश बताया वहीं,अमेरिका ने पश्चिमी एशिया में अपनी स्थिति मजबूत करने और किसी आपातकालीन स्थिति से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। अमेरिका ने इराक वॉर के दौरान से बगदाद और इबिल में मौजूद अपने गैर आपत्कालीन अश्किारियों को वापस बुला लिया है। स्टेट डिपार्टमेंट ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि दूतावास को आशिक तौर पर इसलिए बंद किया जा रह्म है, क्योंकि आतंकी और विद्रोही गुट काफी सक्रिय हैं। वे कभी भी कोई हमला कर सकते हैं। इसके अलावा अमेरिकी नागरिकों को भी खाड़ी देशों में जाने से मना किया गया है। अमेरिका ने पिछले साल इराकी शहर बसरा में उच्चायोग को बंद कर दिया था। वहीं, इराक में 5 हजार और सीरिया में मौजूद 2 हजार अमेरिकी सैनिक हाई अलर्ट पर हैं। अमेरिकी अखबार की रिपोर्टः अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में अमेरिकी रक्षा अभिकारियों के हवाले से दावा किया है कि रूट ह्यउस मध्य पूर्व में अपने 1.20 लाख सैनिकों को भेजने का विचार कर रहा है। ताकि वह ईरान के किसी भी कार्रवाई का जवाब दे सके। इसके लिए अभिकारी रणनीति बना रहे हैं। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।
• ईरान ने ऐलान किया है कि उसने आधिकारिक तौर पर 2015 न्यूक्लियर डील में हुए सभी तरह की शतों और
सहमति को खत्म कर दिया है।

- गैर इमरजेंसी स्टाफ को हटाने का कदम पश्चिम एशिया में खतरनाक हालात का इशारा कर रहे हैं।

अमेरिका ने ईरान पर आरोप लगाया है।कि वह खाड़ी में हमलों की योजना बना रहा है। इस वजह से फारस की खाड़ी में अमेरिकी सेना की मौजूदगी बढ़ाई जा रही है। इरविल और बगदाद से गैर इमरजेंसी स्टाफ को स्टाने का अमेरिका का कदम एक खतरनाक हालात की ओर इशारा कर रहा है। अमेरिका को मानना है कि ईरान समर्थित ताकतें इराक में उसके हितों पर हमले कर रही

हैं। यूरोपीय देश इस स्थिति में हस्तक्षेप कर अमेरिका ईरान को युद्ध के मुहाने से लटाने में कामयाब हो सकते हैं। हालांकि अभी तक यूरोपीय देशों ने वह रुख नहीं अपनाया है जो ईरान उम्मीद कर रहा है। यूरोप में अमेरिका के सबसे नजदीकी सहयोगी ब्रिटेन को लगता है कि इराक में ईरानी ताकतों से कोई बड़ा खतरा नहीं है। 1.20 लाख सैनिक खाड़ी की ओर भेजने के बारे में न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट भी चिंताजनक है, लेकिन राष्ट्रपति ट्रम्प ने इसका चतुराई से खंडन किया है। इस बीच ईरान भी युद्ध टालने के लिए सभी राजनयिक कदम उठा रहा है।

भारत में उसके विदेश मंत्री की सुषमा  स्वराज से बात इसी कवायद का नतीजा  है। ईरान लंबे समय से पश्चिम एशिया में अपने प्रभुत्व के लिए इराक, लेबनान  सीरिया और यमन में अमेरिका विरोधी  ताकतों को सह्मरा देता रहा है। दूसरी
 ओर राष्ट्रपति ट्रम्प और उनके राष्ट्रीय में सुरक्षा सलाहकार ईरान को अपनी ताकत  के बल पर घेरने का अभियान चलाए हुए हैं। पर अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव से वाशिंगटन के सहयोगी भीकिनारा कर रहे हैं। उधर, स्पेन, जर्मनी" और नीदरलैंड ने  साफ जता दिया है किवे  टकराव के हक में नहीं हैं।

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