Saturday, May 25, 2019

चीनी टेक्नोलॉजी पर रोक लगाने के लिए अमेरिका ने और ज्यादा कड़े कदम उठाने के संकेत दिए ।

• टेक्नोलॉजी चुराने और अवैध तरीके अपनाने का आरोप
• हाई टेक्नालॉजी, विमानन जैसे क्षेत्रों में घुसपैठ से चिंता ।

अमेरिका-चीन के बीच केवल कारोबार के मामले में तनातनी नहीं चल रही है। दोनों देश हर क्षेत्र में आमने-सामने हैं। मौजूदा तनाव के सामने अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ का शीत युद्ध मामूली नजर आता है। अमेरिका की शिकायत है कि चीन टेक्नोलॉजी चुराकर आगे बढ़ रहा है। अमेरिकी सरकार और व्यवसायियों का चीन पर भरोसा टूट चुका है। पिछले सप्ताह टेलीकॉम कंपनी हुवावे पर प्रतिबंध का निर्णय लेकर अमेरिका ने समूची चीनी टेक्नोलॉजी को रोकने के लिए और कड़े कदम उठाने का संकेत दिया है।

अमेरिकी अधिकारी मानते हैं, चीन ने टेक्नोलॉजी हासिल करने के लिए कानून तोड़े हैं। एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस्टोफर ने का कहना है, चीन हमारी कीमत पर आश्कि शिखर छूना चाहता है। एजेंसी के 56 फील्ड अधिकारी आर्थिक जासूसी के मामलों की जांच कर रहे हैं। ज्यादातर मामले चीन की तरफ इशारा करते हैं। 2018 में न्याय विभाग ने 15 कंपनियों से व्यापारिक रहस्य चुराने के मामले में एक दर्जन लोगों या संस्थाओं को दोषी पाया है। ये कंपनियां उच्च टेक्नोलॉजी और विमानन क्षेत्र की हैं। चीन के संबंध में अमेरिकी व्यवसायी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं।
अमेरिकी चैम्बरऑफ कॉमर्स द्वारा फरवरी में चीन में बिजनेस के माहोल पर जारी सर्वे में 70% कंपनियों ने बताया, वे मुनाफे में हैं। लेकिन, आधी अमेरिकी टेक्नोलॅजी कंपनियों ने कह्म, वे बौद्धिक संपदा की अपर्याप्त सुरक्षा के कारण चीन में सीमित  इन्वेस्टमेंट कर रही हैं। कई कंपनियों ने गोपनीय जानकारी देने के लिए दबाव डालने और साइबर हमले की घटनाओं का ब्योरा दिया है।

 छोटे व्यवसायों और उद्यमों पर अमेरिकी सीनेट की कमेटी के प्रमुख मार्क रुबियो ने एक रिपोर्ट में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की मेड इन चाइना 2025 योजना का जिक्र किया है। 2015 में जारी योजना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स से विमानन तक उच्च टेक्नोलॉजी के दस क्षेत्रों में देश को ग्लोबल ताकत बनाने का प्रस्ताव है। रुवियो अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने पर जोर देते हैं।

उनका कहना है, सरकार को अमेरिकी जॉब सुरक्षित करने के लिए कदम उठाने चाहिए। चीन के खिलाफ सख्त कार्रवाई के मामले में रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी में सहमति है। 2015 के बाद चीन की सरकारी रिसर्च एजेंसियों ने चीनी फमों के लिए कई लक्ष्य तय किए हैं। 2025 तक चीन में बिकने वाले 80% इलेक्ट्रिक वाहन देश में बनाने की योजना है।

असैनिक और सैनिक सहयोग की रणनीति को टेक्नोलॉजी सेक्टरों में बढ़ावा दिया जा रहा है। चीन ने विदेशी प्रतिद्वंद्वियों को बाहर कर इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरियों जैसे क्षेत्रों में बड़े ब्रांड बनाए हैं। संरक्षणवादी नीतियों ने चीनी इंटरनेट कंपनियों के आगे बढ़ने का रास्ता खोला है। 2009 में आय के हिसाब से दस सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनियां अमेरिकी थीं। अब कई चीनी कंपनियां इस कतार में हैं। डेटा विश्लेषण और एआई में अमेरिकी कंपनियां अब भी बहुत आगे हैं।

 चीन के बड़े डेटा प्रोजेक्ट अमेरिकी चिप से चलते हैं।
इधर, अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के डिफेन्स इनोवेशन बोर्ड ने चेतावनी दी है कि 5  जी मोबाइल टेलीकम्युनिकेशन की होड़ में चीन आगे रहेगा। दस वर्ष पहले अमेरिकी कंपनियों ने 4 जी में बढ़त बनाकर नए हैंडसेट और एप्लीकेशन के मामले में प्रभुत्व कायम कर लिया था। चीन ने सबक सीखते हुए 5 जी नेटवर्क के लिए 12560 अरब रुपए इन्वेस्ट किए हैं। चीन और अमेरिका अपने डिजिटल मार्केट को एक- दूसरे से अलग रखकर विश्व में अन्य स्थानों पर विस्तार करेंगे।

 अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने पहले वैज्ञानिक रिसर्च फंड में कटौती की थी। लेकिन, कंप्यूटर रिसर्च में चीन से आगे निकलने के लिए क्वांटम कंप्यूटर रिसर्च के लिए 90 अरब रुपए  मंजूर किए हैं। दोनों देशों के बीच टेक्नोलॉजी की प्रतिस्पर्धा हथियारों की होड़ में बदल सकती है।

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