Thursday, May 30, 2019

आज फिर बनेगी मोदी सरकार; 8 देशों के प्रमुख आएंगे, इस बार सबसे ज्यादा 8 हज़ार मेहमान होंगे

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार गुरुवार को     दूसरी बार शपथ लेगी। समारोह में नेपाल, भूटान, मॉरिशस   के प्रधानमंत्री, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार के राष्ट्रपति, थाईलैंड, किर्गिस्तान के प्रमुख शामिल होंगे। पिछली बार सार्क देशों के प्रमुख शामिल हुए थे, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल था।
इस बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को नहीं बुलाया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस बार 65 मंत्री हो    सकते हैं। इनमें 20 नए चेहरे संभव हैं। 2014 में 45. मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी। हालांकि बाद में कुल मंत्रियों की संख्या 76 से गई थी। समारोह में शामिल.  होने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों को न्योता दिया गया है।  पर प. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने समारोह में आने से मना कर दिया है।
सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह ने न्योता स्वीकार कर लिया है। समारोह में करीब 8 हजार मेहमान शामिल होंगे।

गैर भाजपा शासित राज्यों के ये मुख्यमंत्री आएंगेः पुडुचेरी के मुख्यमंत्री नारायणसामी, तमिलनाडु के पलानीसामी, उपमुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम, कर्नाटक के कुमारस्वामी, तेलंगाना के चंद्रशेखर राव, दिल्ली के
सीएम केजरीवाल समेत कई ऐसे नाम हैं, जो विपक्षी नेता झेने के बाद भी शपथ में शामिल हो सकते हैं।

यदि अमित शाह मंत्रिमंडल में शामिल होंगे। तो पूरी संभावना है कि वे वित्त मंत्री बनेंगे
अमित शाह 24 जनवरी 2016 को भाजपा के दूसरी बार अध्यक्ष बनाए गए थे। 23 जनवरी 2019 को उनका कार्यकाल खत्म हो चुका है। चुनाव तक के लिए कार्यकाल बढ़ाया गया है।
भाजपा में किसी को दो बार से अधिक अध्यक्ष नहीं बनाया जाता है। इसलिए कयास है कि शाह मंत्रिमंडल में शामिल होंगे। चूंकि भाजपा सरकार दूसरी पारी में विकास के एजेंडे पर फोकस करना चाहती है,इसलिए सूत्रों का मानना है कि वित्त मंत्रालय ऐसे व्यक्ति को मिलेगा जो विकास का एजेंडा चला सके। इसके लिए सबसे । विश्वस्त और मजबूत नेता की जरूरत है। इसलिए भी पूरी संभावना है कि शाह वित्तमंत्री बनाए जाएंगे।

जेटली ने लिखा- मुझे मंत्री न बनाएं, मोदी देर शाम जेटली के घर पहुंचे
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोदी को चिट्ठी लिखकर अपील की है कि- 'मुझे मंत्री बनाने पर विचार नहीं किया जाए। मेरी तबीयत 18 महीने से खराब है। इसलिए मैं बड़ी जिम्मेदारी नहीं संभाल पाऊंगा।' इसके बाद मोदी देर शाम जेटली से मिलने उनके घर गए। 

Wednesday, May 29, 2019

मोदी के नए अवतार से शुरू राजनीति में नया दौर

नरेन्द्र मोदी भारत के ऐसे पहले प्रधानमंत्री में हैं, जो गैर-कांग्रेसी हैं, लेकिन जिन्हें लगातार दो पूरी अवधियां  मिली हैं। ऐसी दो पूर्ण अवधियां अटलजी को भी नहीं     मिलीं। मोदी इस अर्थ में जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी.  और मनमोहन सिंह की श्रेणी में आ गए हैं। यह ठीक है कि नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी को जितनी सीटें संसद में मिलीं, उतनी मोदी को नहीं मिलीं, लेकिन 300 का आंकड़ा पार करना किसी विपक्षी प्रधानमंत्री के लिए अपने आप में ऐतिहासिक उपलब्धि है।

 इसका श्रेय बालाकोट हमले, किसानों और गरीबों को मिली वित्तीय सुविधाओं, सरकार    के कुछ  जन-अभियानों और भाजपा कार्यकर्ताओं के व्यवस्थित जन-संपर्क को दिया जा रह्म है, लेकिन इस तरह के कई लोक-कल्याणकारी काम तो हर प्रकार करती है है। मोदी की इस अप्रत्याशित विजय के जो कारण मुझे समझ में आते हैं, वे ये है। एक, 2019 के चुनाव में पूरा विपक्ष ऐसा लग रह्म था, जैसे वह बिना दूल्हे की बारात हो। विपक्ष में   नेता तो कई थे, लेकिन वे सब प्रांतीय थे। उनमें से कई मोदी  से कहीं अधिक वरिष्ठ और अनुभवी भी थे, लेकिन उनमें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कोई भी नहीं था  जनता  अपनी वरमाला किसे पहनाती?

कितनों को पहनाती दो, यह चुनाव ही नहीं, सभी चुनाव कहने के लिएसंसदीय होते हैं, लेकिन उनका स्वरूप अध्यक्षात्मक होता है अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव की तरह! यह चुनाव तो पूरी तरह से अध्यक्षात्मक था यानी मतदाता ने वोट डालते वक्त अपने इलाके के उम्मीदवार पर नहीं  बल्कि उसकी पार्टी के नेता पर नजर रखी। ऐसे नेता सिर्फ दो से थे।
एक नरेन्द्र मोदी और दूसरे राहुल गांधी।दोनों में कोई तुलना थी क्याराहल तो अपने प्रांत में हो अपनी पार्टी और खुद को ले वैठे। अखिल भारतीय नेता  होना तो दूर की कौड़ी है। तीन, ये चुनाव संसद का था, विधानसभाओं का नहीं। इसीलिए प्रांतीय नेताओं की श्रेष्ठता और योग्यता अपने आप दरकिनार हो गई। लोग सोचते थे कि प्रांतीय पार्टी को वोट देकर हम अपना वोट बेकार क्यों करें ? ओडिशा में क्या हुआ? विधानसभा में नवीन पटनायक और लोकसभा में लोगों ने मोदी को चुना।

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनावों में कांग्रेस को सत्तारूढ़ कराने वाली जनता ने इस संसदीय चुनाव में उसे बुरी तरह से रद्द क्यों कर दिया? चार, भारत मूलतः मूर्तिपूजक देश है। भाजपा के पास  नरेन्द्र मोदी नामक भव्य भूर्ति थी। वह सगुण, साकार, मुखर, बोलती-चालती मूर्ति थी। उसे विपक्ष के नेता संकीर्ण, साम्प्रदायिक, मौत का सौदागर, चोर, घमंडीआदि चाहे जो कहें लेकिन विपक्ष के पास क्या था?

एक निर्गुण, निराकार, तुतलाता-हकलाता विकल्प था देश क्या करता  मजबूरी का नाम नरेन्द्र मोदी! मोदी की टक्कर में यदि एक भी अखिल भारतीय नेता होता तो भाजपा को लेने के देने पड़ जाते। राजीव गांधी को 400 से ज्यादा सीटें मिली थीं, लेकिन विश्वनाथ प्रतापसिंह जैसे नेता ने उन्हें 200 पर उतार दिया। पांच, इस चुनाव- अभियान में मोदी का सबसे ज्यादा फायदा राहुल गांधी ने उस पर कठोर अंकुश भी लगा सकेंगी। किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सक्ल विपक्ष नितांत आवश्यक है।

जहां  तक मोदी के तानाशाह बनने का अंदेशा है,उसका निराकरण तो संसद के सेंट्रल हॉल में दिए  गए उनके अदभुत भाषण  से ही हो जाता है। उन्होंने अपने पाटी-कार्यकर्ताओं के लिए जितने सम्मान और ने विनम्रता के शब्द कहे, मेरी याद में किसी भी प्रधानमंत्री  ने नहीं कहे। उन्होंने आडवाणीजी और जोशीजी के पांव छूकर अपनी अहंवादी छवि को सुधार लिया। पेड़ पर ज्यों ही फल लगते हैं, वह झुक जाता है। उन्होंने  अल्पसंख्यकों के भले की बात करके सच्चे हिंदुत्व   को प्रतिपादित किया। उन्होंने प्रज्ञा का नाम लिए बिना अपने  सांसदों को जुबान पर लगाम रखने के लिए भी की। मुझे ऐसा लगा कि मोदी का यह नया अवतार है।

उन्होंने केंद्र और प्रांतों की आकांक्षाओं में समरसता  स्थापित करने और क्रोिधियों को भी अपना' कहके  वास्तविक लोकतांत्रिक मानसिकता   का परिचय दिया। उन्होंने 'गांधी, लोहिया, दीनदयाल' के विचारों की याद दिलाई और 1857 के आदशों को दोहराया। 1942 और 1947 के बीच ह्या जन-जागरण और जन-आंदोलनों की तरह अगले पांच साल भारत की जनता को जगाने का संकल्प भी यह विश्वास बंधाता है कि अब देश  में एक नई राजनीति का जन्म हो रहा है।

पिछली बार  उनकी विजय का मूल कारण वे स्वयं नहीं, कांग्रेस का भ्रष्टाचार था। इस बार उन्हें जो विजय मिली है, वह  अपने दम पर मिली है। आशा है कि मोदी अब अपनी  कथनी को करनी में बदलेंगे। वे अत्यंत सफल प्रचार में मंत्री सिद्ध हुए हैं, लेकिन अब वे मान प्रधानमंत्री सिद्ध  होकर दिखाएंगे। 

Tuesday, May 28, 2019

मोदी बोले-भाजपा हिंदी पट्टी की पार्टी होने की धारणा गलत, इस बार अंकगणित पर केमेस्ट्री जीती।

लोकसभा चुनाव में जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित कर जीत के लिए उनका आभार जताया। भाजपा के हिंदी पट्टी की पार्टी होने की धारणा को गलत बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव परिणाम समूचे भारत में उसकी जीत का गवाह है।

 चुनाव में अंकगणित पर केमेस्ट्री जीती है। राजनीतिक पंडितों को मानना होगा कि आदशों और संकल्पों की केमेस्ट्री हर अंकगणित को हरा देती है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग घिसी- पिटी सोच में धिरकर ही नजरिया बनाते हैं। 50- 70 साल में स्थापित हो चुकी 90% से अधिक ताकतें दो काम करती हैं। पहला, किसी भी हालत में भाजपा के लिए सही नजरिया ना बने। दूसरा, कुतर्क करके नजरिए को विगाड़ा जाए। मगर उन पंडितों को दोबारा सोचना होगा कि पारदर्शिता और परिश्रम उन्हें हरा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा को स्थापित नकारात्मकता के बीच सकारात्मकता को लेकर जाना है, क्योंकि देश उसी से आगे बढ़ने वाला है। मोदी ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के दबाव में कोई सही बात कहने की हिम्मत नहीं करता था। लेकिन भाजपा ने यह चलन बदला है सरकार नीति बनाकर उस पर चलती है जबकि संगठन रणनीति बनाता है।

बस की सीट फाइने और पीक थूकने वालों को नसीहत दी।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में देशवासियों के कर्तव्यों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि खुद का 20 साल पुराना स्कूटर भी घिसकर चम्काते रहेंगे। लेकिन सरकारी बस में बैठे और बगल में सीट खाली हो तो उसमें उंगली डाल-डालकर दो-तीन इंच का गट्ठा करने तक हमें चैन नहीं आता। पान पर तंज कसते हुए मोदी ने कहा कि भारत माता की जय बोलें और फिर बनारसी पान खाकर पीक थूकें। यह कैसी भारत माता की जय है भाई।

भाजपा राजनीतिक हिंसा की सबसे बड़ी शिकार।
भाजपा को देश में राजनीतिक हिंसा की सबसे बड़ी शिकार बताते हुए मोदी ने कह्म कि इस हिंसा को एक प्रकार से मान्यता दी गई है। चाहे केरल से, कश्मीर हो, बंगाल या फिर त्रिपुरा । हो, वहां हमारे कार्यकर्ताओं को सिर्फ राजनीतिक विचारधारा के कारण मार दिया गया। भाजपा का नाम लेते है कहा जाता है कि यह खतरनाक है।दरअसल, हम विभाजन के पैरोकार नहीं हैं। हम एकता के मार्ग पर चलते हैं। जब दूसरे लोग सत्ता में आते हैं तो विपक्ष का नाम नहीं होता, मगर हम जब सत्ता में आते हैं तो विपक्ष का ।अस्तित्व शुरू होता है। त्रिपुरा इसका उदाहरण है।

Monday, May 27, 2019

मोदी सरकार को बाहर से समर्थन दे सकते जगन , राज्यसभा में साथ होंगे


आंध्र प्रदेश में एतिहसिक जीत के बाद वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी रविवार को दिल्ली पहुंचे। यहां उन्होंने नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। जगन रेडी 30 मई को विजयवाड़ा में
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। जगन ने मोदी को अपने शपथ समारोह में आने का निमंत्रण दिया इससे पहले जगन को रविवार सुबह पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया।


 जगन रेडी ने मुलाकात के बाद कह्म कि अगर भाजपा आम चुनाव में 250 सीटों तक सिमटती, तब हमें केंद्र सरकार पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं रहना पड़ता। पर अब हालात बदल गए हैं। उन्हें अब हमारी जरूरत नहीं है।


 हम जो कर सकते थे, वो किया। हमने मोदी को अपने हालात से वाकिफ करा दिया है। अगर वे 250 सीटों तक सिमटते तव हालात दूसरे होते। तब हम उन्हें तभी समर्थन देते, जब वे आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के दस्तावेजों पर दस्तखत कर देते। उधर, मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक जगन ने मोदी के साथ एनडीए सरकार को बाहर से या मुद्दों पर आधारित समर्थन देने पर चर्चा की। रेडी ने शाह से मुलाकात कर आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने में समर्थन भी मांगा। इस मौके पर वाईएसआर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विजय साई रेडी भी मौजूद थे।

वाईएसआर कांग्रेस ने 22 सीटें जीती हैं : वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र की 25 में से 22 लोकसभा सीटें जीती हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 175 में से 151 सीटें हासिल की। एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ रहे चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी को विधानसभा में सिर्फ 23 सीटें मिली हैं।

कांग्रेस के 2 विधायक भाजपा नेता एसएम कृष्णा से मिले
बेशक आम चुनाव में कर्नाटक में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बाद राज्य में राजनीतिक उठापटक तेज हो गई है। रविवार को भाजपा नेता एसएम कृष्णा से कांग्रेस के दो विधायकों ने उनके घर जाकर मुलाकात की। हालांकि, कांग्रेस विधायक रमेश जरकिल्लेली और सुधाकर ने कहा कि यह मुलाकात सिर्फ शिष्टाचार थी। इस दौरान कृष्णा के घर पर भाजपा नेता आर अशोक भी मौजूद थे। जरकिहोली ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुलाकात नहीं थी। हम सिर्फ कृष्णा से मिलने आए थे। कर्नाटक में भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की है, हम उन्हें बधाई देने आए थे। उधर, मीडिया रिपोट्र्स में कहा जा रहा है, कि आम चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस के 7 और जेडीएस के 3 विधायक भाजपा में जाने को तैयार हैं।

Sunday, May 26, 2019

अब प्रधानमंत्री देश को वैश्विक शक्ति बनाने और सामाजिक योजनाओं को बढ़ाने पर ज्यादा जोर देंगे

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत बड़े मार्जिन की जीत के साथ वापस आ रहे हैं। इस  चुनाव ने साबित किया   है कि वे कितने  मशहूर हैं और भारतीय जनता पार्टी को भारत की कायापलट करने के लिए पांच साल और मिले हैं।

 लेकिन इस जीत के बाद हम भारतीय के मन में यह सवाल है कि इन पांच सालों में मोदी क्या करेंगे? सभी के  मन में यह उम्मीदभरा सवाल है। कि गरीबों की मददऔरअर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मोदी क्या कदम उठाएंगे हिंदूचरम पंथियों ने चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि मोदी ने कभी उनकी भाषा नहीं बोली। लेकिन उन्होंने खुद को कभी उनसे अलग भी नहीं किया।

एक ओर जहां  मोदी के आलोचकों को लगता है कि वे भाजपा के हिंदुत्ववादी एजेंडे  को आगे बढ़ाएंगे, तो दूसरी तरफ कई विश्लेषक मानते हैं कि मोदी सिर्फ इस एजेंडे पर नहीं चलते हैं, बल्कि आर्थिक सुधारों की दिशा में भी वे आगे बढ़ेंगे। जेएनयू की प्रोफेसर जोया हसन को  लगता है। कि खराब आर्थिक रिकॉर्ड के बावजूद मोदी को बहुमत मिला है, इसलिए वे पार्टी के एजेंडेसे अलग नहीं होंगे। लेकिन जिन लोगों ने मोदी के व्यक्तित्व का नजदीक से अध्ययन किया है,

 वे मानते हैं कि मोदी एक जटिल व्यक्तित्व हैं। वे अलग हैं, आत्मसंयमी हैं, बहुत कम लोगों पर विश्वास करते हैं और कम लोगों के करीबी हैं। वे राष्ट्रवाद और  जनवाद का मिश्रण हैं। स्पष्ट रूप से अगर वे हिंदू  आस्था पर विश्वास करते हैं, तो आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध भी हैं। विश्लेषकों को उम्मीद है। अपनी दूसरी पारी में वे व्यावहारिक विकास कार्यक्रमों पर और ज्यादा जोर देंगे। चूंकि अर्थव्यवस्था वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाई हैं, जैसा कि 2014 में मोदी ने वादा किया था।

इसलिए वे जानते हैं कि अपनी विरासत और भविष्य के राजनीतिक भाग्य, दोनों के लिए यह मुद्दा महत्वपूर्ण है। मोदी की इच्छा एक बड़ी वैश्विक शक्ति का नेता बनकर उभरने की भी होगी। किंग्स कॉलेज, लंदन में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर हर्ष वी. पंत कहते हैं, 'मुझे नहीं लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी धर्म को लेकर उतने जोश में हैं, जितना कि उनके आलोचक बताते हैं। भारत वैश्विक शक्ति के रूप में क्या भूमिका निभा सकता है और भारत एक उन्नत राष्ट्र कैसे बन सकता है, ये बातें उन्हें आगे बढ़ाती हैं।

 राजनीतिक
विश्लेषक मानते हैं कि मोदी पुरानी महाशक्ति अमेरिका और नई महाशक्ति चीन के बीच की बारीक रेखा पर चलते रहेंगे। भारत स्पष्ट रूप से अमेरिका और चीन  दोनों से ही अच्छे व्यापारिक संबंध रखना चाहता है। वहीं कश्मीर में मोदी अपना नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं। कई विश्लेषक मानते हैं कि पिछलेएक बड़ी वैश्विक शक्ति का नेता बनकर उभरने की भी होगी।

किंग्स कॉलेज, लंदन में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर हर्ष वी. पंत कहते हैं, 'मुझे नहीं लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी धर्म को लेकर उतने जोश में हैं, जितना कि उनके आलोचक बताते हैं। भारत वैश्विक शक्ति के रूप में क्या भूमिका निभा सकता है और भारत एक उन्नत राष्ट्र कैसे बन सकता है, ये बातें उन्हें आगे बढ़ाती हैं।

पांच सालों के अनुभव के आधार पर मोदी दो तरह से काम करना जारी रखेंगेः पहला आर्थिक और विदेश नीतियों संबंधी पहलों को पहले की ही तरह आगे बढ़ाना, दुसरा खुद को संयमित व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करना। केरल विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर जोसुकुटी चेरिवनथराइल अत्राहम कहते हैं, 'मोदी और अधिक आध्यात्मिक होने का प्रयास करेंगे।

वे हिन्दुत्व के तत्वों से खुद को अलग करेंगे। लेकिन इस एजेंडे को आगे बढ़ाने वालों को नहीं रोकेंगे।' पिछले पांच सालों में मोदी की रणनीति ज्यादा संभलकर चलने और विभिन्न एजेंडा के माध्यम से भारतीयों के हर वर्ग तक पहुंचने की रही है।

 बढ़ती बेरोजगारी के चलते कई विश्लेषक मान रहे थे कि मोदी के समर्थन में कमी आएगी। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय बनाने और हर घर तक गैस सिलेंडर पहुंचाने जैसी गरीबों के लिए बनाई गई योजनाओं को अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी। कुछ विश्लेषक  यह मानते हैं कि वे बहुमत का इस्तेमाल सभी के लिए हेल्थ केयर प्लान जैसे बड़े  सामाजिक कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए  करेंगे।

  लेकिन उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता  नई नौकरियों का सृजन होगा। हो सकता है में इसके लिए कंपनियों को फैक्टरियां बनाने के  लिए जमीन देने के नए कानून बनाने पड़ें। इस तरह के भूमि सुधार कार्यक्रम लाने की कोशिश उन्होंने पिछले कार्यकाल में भी की थी, लेकिन प्रस्ताव गिर गया था 

मोदी सरकार को बाहर से समर्थन दे सकते जगन , राज्यसभा में साथ होंगे


आंध्र प्रदेश में एतिहसिक जीत के बाद वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी रविवार को दिल्ली पहुंचे। यहां उन्होंने नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। जगन रेडी 30 मई को विजयवाड़ा में
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। जगन ने मोदी को अपने शपथ समारोह में आने का निमंत्रण दिया इससे पहले जगन को रविवार सुबह पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया

 जगन रेडी ने मुलाकात के बाद कह्म कि अगर भाजपा आम चुनाव में 250 सीटों तक सिमटती, तब हमें केंद्र सरकार पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं रहना पड़ता। पर अब हालात बदल गए हैं। उन्हें अब हमारी जरूरत नहीं है। हम जो कर सकते थे, वो किया। हमने मोदी को अपने हालात से वाकिफ करा दिया है। अगर वे 250 सीटों तक सिमटते तव हालात दूसरे होते। तब हम उन्हें तभी समर्थन देते, जब वे आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के दस्तावेजों पर दस्तखत कर देते।

Y उधर, मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक जगन ने मोदी के साथ एनडीए सरकार को बाहर से या मुद्दों पर आधारित समर्थन देने पर चर्चा की। रेडी ने शाह से मुलाकात कर आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने में समर्थन भी मांगा। इस मौके पर वाईएसआर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विजय साई रेडी भी मौजूद थे।

वाईएसआर कांग्रेस ने 22 सीटें जीती हैं : वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र की 25 में से 22 लोकसभा सीटें जीती हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 175 में से 151 सीटें हासिल की। एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ रहे चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी को विधानसभा में सिर्फ 23 सीटें मिली हैं।

कांग्रेस के 2 विधायक भाजपा नेता एसएम कृष्णा से मिले
बेशक आम चुनाव में कर्नाटक में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बाद राज्य में राजनीतिक उठापटक तेज हो गई है। रविवार को भाजपा नेता एसएम कृष्णा से कांग्रेस के दो विधायकों ने उनके घर जाकर मुलाकात की। हालांकि, कांग्रेस विधायक रमेश जरकिल्लेली और सुधाकर ने कहा कि यह मुलाकात सिर्फ शिष्टाचार थी। इस दौरान कृष्णा के घर पर भाजपा नेता आर अशोक भी मौजूद थे।

जरकिहोली ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुलाकात नहीं थी। हम सिर्फ कृष्णा से मिलने आए थे। कर्नाटक में भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की है, हम उन्हें बधाई देने आए थे। उधर, मीडिया रिपोट्र्स में कहा जा रहा है, कि आम चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस के 7 और जेडीएस के 3 विधायक भाजपा में जाने को तैयार हैं।

मोदी के साथ ये हो सकते हैं 6 सबसे बड़े चेहरे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नतीजों से पहले से भाजपा मुख्यालय में हुई मंत्रिपरिषद की फेयरवेल बैठक में नई कैबिनेट के गठन में 50-60.फीसदी बदलाव के संकेत दे चुके हैं। अब सभी ये जानना चाहते हैं। कि मोदी के साथ उन 6 पदों पर कौन आएंगे जो सबसे महत्वपूर्ण हैं।

 इनमें गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्री के अलावा भाजपा संगठन के अध्यक्ष और लोकसभा स्पीकर का पद शामिल है। केंद्रीय वित्त मंत्री
अरुण जेटली और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज स्वास्थ्य कारणों से शायद ही शीर्ष चार पदों में शामिल सें। सुषमा स्वराज तो अभी किसी सदन की सदस्य भी नहीं हैं। वहीं सुमित्रा महाजन के चुनाव नहीं लड़ने से लोकसभा स्पीकर का पद भी खाली होना तय है।

अमित शाह के नाम की चचा गृह मंत्री या वित्त मंत्री के लिए हो रही है, लेकिन इस बात की संभावना कम है कि वे सरकार में शामिल हों। संध और पार्टी स्तर पर यह भी चर्चा चल रही है कि शाह अभी कैबिनेट में नहीं जाएं, क्योंकि पार्टी संविधान के मुताबिक अभी उन्हें 3 साल का एक और कार्यकालमिल सकता है।

. गृह मंत्री राजनाथ सिंह या अमित शाह हो सकते हैं।
राजनाथ सिंह वरिष्ठता के कारण इस मंत्रालय में बने रह सकते हैं। उनकी संध के शीर्ष नेताओं से अनौपचारिक चर्चा भी झे चुकी है। इस विभाग के लिए अमित शाह के नाम की भी चर्चा है, लेकिन शाह की पसंद ऐसे मंत्रालय की रहती है जो सीधे जनता से जुड़ा हो। उनके करीबी बताते हैं, 'शाह जब गुजरात में गृह राज्यमंत्री थे तब भी उन्होंने मोदी से कहा था कि उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय दिया जाए।'

. वित्त मंत्री पीयूष गोयल,
अमित शाह, नितिन गडकरी पीयूष गोयल प्रबल दावेदार हैं। उन्होंने अंतरिम बजट भी पेश किया था। वित्त विभाग संभालते रहे हैं। गोयल को मोदी-शाह का सबसे भरोसेमंद माना जाता है। चर्चा यह भी है कि खुद अमित शाह वित्त मंत्रालय का रुख कर सकते हैं, क्योंकि सकार की प्राथमिकता अब आर्थिक मोर्चे पर सफलता पाना है। इसके लिए वेजिम्मेदार नाम हैं। इस विभाग के लिए नितिन गडकरी के नाम की भी चर्चा है।

3. रक्षा मंत्रीः अमित शाह,
राजनाथ के नाम की चर्चा इस विभाग के लिए अमित शाह और राजनाथ सिंह के नाम पर विचार हो रह्म है। राजनाथ गृह मंत्री के रूप में आंतरिक सुरक्षा की बारीकियां समझ चुके हैं। चूंकि उनको सीसीएस (सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी) में बनाए रखना है, इसलिए गृह विभाग उनसे नहीं लिया जा सकता। वहीं, रक्षा विभाग में आने की वजह से शाह को संगठन के काम पर ध्यान देने का समय मिलेगा, जो इस समय उनके लिए बेहद जरूरी है।

4. विदेश मंत्री निर्मला
 सीतारमण, स्मृति ईरानी रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण नई विदेश मंत्री हो सकती हैं। उन्हें अंग्रेजी और पड़ोसी मामलों  की बेहतरीन समझ है। शीर्ष चार पदों में एक महिला की अनिवार्यता को  मोदी बनाए रखना चाहते हैं, इसलिए सीतारमण पहली पसंद हो सकती हैं। हालांकि उनके अलावा स्मृति ईरानी के नाम की भी चर्चा है। वाकपटुता में माहिर स्मृति मानव संसाधन, सूचना प्रसारण और अभी टेक्सटाइल संभालते हुए अपनी प्रतिभा का परिचय दे चुकी हैं।

 लोकसभा अध्यक्षः संतोष गंगवार,
राजनाथ सिंह इस पद के लिए राजनाथ का नाम भी चल रहा है। लेकिन सबसे ज्यादा आठ बार यूपी के बरेली से सांसद संतोष गंगवार सबसे मुफीद चेहरा माने जा रहे हैं। गंगवार इससे पहले वाजपेयी सरकार तथा मोदी सरकार में मंत्री रहे।  और विपक्ष में रहते हुए लोकसभा में मुख्य सचेतक भी रहे हैं। व्यवहार से सहज, सौम्य और कम बोलना उनकी व्यवहार कुशलता का अहम हिस्सा है। सबसे वरिष्ठ होने के बावजूद भी वे अभी स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री हैं।

. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्षःभूपेंद्र यादव, जेपी नड्डा राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव का समन्वय मोदी-शाह के साथ बेहतर है। वाजपेयी सरकार के समय संगठन की बागडोर दक्षिण भारतीय नेताओं को सौंपने से संगठन में
स्थिरता आ गई थी और पार्टी हार गई थी। इस बार हिंदी पट्टी से अध्यक्ष बनाने की रणनीति है। जगत प्रकाश
नड्डा का भी नाम प्रमुखता से चर्चा में है। पिछली बार भी वे दौड में थे लेकिन शाह अध्यक्ष बन गए। यपी के प्रभारी
के रूप में इस बार पार्टी को बेहतरीन सफलता दिलाई है।